शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

tere raaste

मेरी साँसे उलझ सी जाती है,
जब तेरी राह से गुजरने वाले रास्तो पे मे चलता हु.
ये आँखे तलाशती है तेरे कदमो के निशानों को,
जैसे तेरे कदमो के निशान मेरी मंजिल का आखिरी पड़ाव हो.
मे थम सा जाता हु,
ज़म सा जाता बर्फ सा इस सर्दी मे,
ओंस की बूंदों से तेरे नाम को लिखता हु मिटाता हु,
के तुम नहीं हो कही भी दूर तक,
और अंत मे तुमे खोता सा जाता हु,
इन भीड़ भरे रास्तो पे खुद को अकेला पाता हु,
क्य्यो जित के भी बार बार मे हार जाता हु.
तेरी न पे भी विश्वास था,
तेरी हा मे भी,
और तेरी हर बात पे.
तुम ही ने तो दिया था,
मुझे जीने का ये विश्वास,
और तुम ने ही छिना.
किसको गलत कहता, तुम को,
या फिर अपने आप को.

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